Pankaj Thakar
अष्टादश
पुराणों के माध्यम से ऋषियों ने सामान्य मानव को शास्त्रज्ञान तक पहुँचाने का
राजमार्ग प्रशस्त कर दिया है । महर्षि
वेदव्यास की सूक्ष्मेक्षिका के परिपाकरूप प्रत्येक पुराण में कतिचित शास्त्र एवं
दर्शनों का निरूपण अवश्य होता है जिससे मानव मात्र को पार्थिव व प्रकृतिसम्बद्ध
न्यूनतम अपेक्षित ज्ञान प्राप्त हो सके । ऐसा ही एक दर्शन अर्थात् सांख्यदर्शन
जिसमें प्रकृति का उत्पत्ति विज्ञान और मानवीय जीवन पद्धति के विभिन्न परिमाणों का
परिसंख्यान किया गया है ।
लिंगपुराण,
सांख्यतत्त्व निरूपण
VOL.14, ISSUE No.1, March 2022