Towards Excellence

(ISSN No. 0974-035X)
(An indexed refereed & peer-reviewed journal of higher education)
UGC-MALAVIYA MISSION TEACHER TRAINING CENTRE GUJARAT UNIVERSITY

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का राष्ट्रभाषा हिंदी संबंधी चिंतन

Authors:

Rajendra Parmar

Abstract:

प्रस्तुत आलेख में कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी के राष्ट्रभाषा हिंदी संबंधी चिंतन को केन्द्र में रखा गया है। कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी बहुभाषाविद् थे। उनकी मातृभाषा गुजराती होते हुए भी उन्होंने राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी की हिमायत की थी। गाँधीजी ने हिंदी के माध्यम से देश को एक सूत्र में पिरोने की जो बात कही थी, उसका निदर्शन मुंशी जी के चिंतन में भी देखा जा सकता है। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए जो मुहिम चलाई गई थी उसमें कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने रुचि लेते हुए अपने भाषणों के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपनी अहम् भूमिका निभाई थी। कहा जा सकता है कि गाँधीजी, काका साहब कालेलकर आदि की तरह कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का भी हिंदी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उनका पूर्ण विश्वास था कि हिंदी ही भारत देश की राष्ट्रभाषा बन सकती है। वे जानते थे कि सांस्कृतिक दृष्टि से भारत को जोड़कर रखने की शक्ति हिंदी भाषा में ही हैं। मुंशी जी ने राष्ट्रभाषा हिंदी को लेकर जो चिंतन किया है वह आज भी बहुमूल्य है। मुंशी जी के राष्ट्रभाषा हिंदी संबंधी विचारों का प्रचार-प्रसार करना ही इस शोधालेख का उद्देश्य है।    

Keywords:

राष्ट्रभाषा हिंदी, राष्ट्रप्रेम, हिंदी और उर्दू विवाद, भाषाभेद, हिंदी

 संबंधी चिंतन, भारतीय साहित्य, भाषा समन्वय

Vol & Issue:

VOL.16, ISSUE No.3, September 2024