Hasmukh Panchal
वर्तमान में नगरीकरण विकास का पर्याय बन गया हैं। भारत जैसे विकासशील देशोंकी अर्थव्यवस्था में कृषि आधार से सेवा
उन्मुख रोजगार में भारी बदलाव का अनुभव
किया है। नगरीकरण की प्रक्रीया सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों के साथ-साथ आर्थिक परिवर्तन को भी
देखती है। भारत में पिछले दशक में ऐसे गैर कृषि आधारित अर्थव्यवस्था संचालित शहरी क्षेत्रों के विकास
में भारी वृद्धि देखी हैं, जहां सामाजिक-सांस्कृतिक पहलू अभी भी ग्रामीण है। बडे गाँवो से विकसित होने वाले इन शहरी
क्षेत्रों को भारत
की जनगणना द्वारा जनगणना कस्बों के रुपमें परिभाषित किया गया है और उसे रुर्बन केन्द्र समझा जाता है। नगरीकरण के परिणाम स्वरूप शहरी फैलाव ग्रामीण इलाकों की ओर बढ रहा
है। शहरी और ग्रामीण के बीच
भेद की रेखा
मिटती जा रही
है। शहरी और ग्रामीण गतिविधियों के प्रसार वाले क्षेत्र को रूर्बन कहा जाता है। ये ग्रामीण केन्द्र नए उभरते
नगर है, जो ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा शासित है, इन क्षेत्रों में होने वाली गतिविधियाँ नगरीय प्रकृति की है। ये
रूर्बन केन्द्र आर्थिक रूप से मूलभूत आवश्यकताओं और सामाजिक- सांस्कृतिक सुविधाओं के बिना बढते है। भारत में रूर्बन केन्द्र न केवल
नगरीकरण में नए चेहरे लाता है, बल्कि मौजूदा शहरी केन्द्रों में उनकी स्वीकार्यता और समावेशन की दिशा
में चुनौतियों को बरकरार रखता है, यह इस
अभ्यास का मूल
तत्व है।
भारत, नगरीकरण, रुर्बन केन्द्र, जनगणना कस्बा, अर्थव्यवस्था
VOL.15, ISSUE No.1, March 2023